राम नाथ कोविन्द

  • Posted on: 23 April 2023
  • By: admin

रामनाथ कोविन्द 

भारत के 14वे राष्ट्रपति 

पद बहाल - 25 जुलाई 2017 – 25 जुलाई 2022

प्रधानमंत्री  - नरेन्द्र मोदी

उप राष्ट्रपति - वेंकैया नायडू

पूर्वा धिकारी - प्रणब मुखर्जी

उत्तरा धिकारी - द्रौपदी मुर्मू

बिहार के राज्यपाल

पद बहाल - 16 अगस्त 2015 – 20 जून 2017

पूर्वा धिकारी - केसरी नाथ त्रिपाठी

उत्तरा धिकारी - केसरी नाथ त्रिपाठी

जन्म - 01 अक्टूबर 1945

परौंख,कानपुर, उत्तर प्रदेश

राष्ट्रीयता - भारतीय

राजनीतिक दल  भारतीय जनता पार्टी

जीवन संगी - सविता कोविन्द (विवाह : 30 मई 1974)

बच्चे  दो; पुत्र - प्रशांत कुमार, पुत्री - स्वाती

निवास  कानपुर, उत्तर प्रदेश

शैक्षिक सम्बद्धता  बीकॉम,MBA एल॰ एल. बी., कानपुर विश्वविद्यालय

पेशा  , राजनीति, राज्यपाल,सहज मार्ग अभ्यासी

धर्म  हिन्दू

रामनाथ कोविन्द (जन्म: 1 अक्टूबर 1945) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने भारत गणराज्य के 14वें राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी। वे 25 जुलाई 2017 को 14वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। 25 जुलाई 2017 को भारतीय उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने उन्हें भारत के राष्ट्रपति के पद की शपथ दिलायी। वे राज्यसभा सदस्य तथा बिहार राज्य के राज्यपाल रह चुके हैं। माननीय रामनाथ कोविंद प्रबुद्ध सोसाइटी के प्रेरणा श्रोत है तथा हमारे देश के प्रबुद्ध सम्राट है।

जीवन परिचय

रामनाथ कोविन्द का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिला (वर्तमान में कानपुर देहात जिला) की तहसील डेरापुर, कानपुर देहात के एक छोटे से गाँव परौंख में हुआ था। कोविन्द का सम्बन्ध कोरी (कोली/कोरी) जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति गुजरात में पिछड़ा जाति केरल में पिछड़ा जाति कर्नाटक में पिछड़ा और महाराष्ट्र में पिछड़ा जाति मे आती है। वकालत की उपाधि लेने के पश्चात उन्होने दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की। वह 1977 से 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील रहे। 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के पद पर उनकी नियुक्ति हुई। उन्होनें संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा भी तीसरे प्रयास में ही पास कर ली थी। वर्ष 1991 में भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हो गये। वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए। वर्ष 2000 में पुनः उत्तरप्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए। इस प्रकार कोविन्द लगातार 12 वर्ष तक राज्य सभा के सदस्य रहे। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे। 

बिहार के राज्यपाल (2015–2017)

8 अगस्त 2015 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कोविंद को बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया। 16 अगस्त 2015 को पटना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने पटना के राजभवन में एक समारोह में कोविंद को बिहार के 26वें राज्यपाल के रूप में शपथ दिलाई।

कोविंद की नियुक्ति की बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आलोचना की थी क्योंकि यह 2015 के राज्य विधानसभा चुनावों से महीनों पहले आया था और सरकारिया आयोग द्वारा अनुशंसित राज्य सरकार से परामर्श किए बिना नियुक्ति की गई थी। हालांकि अयोग्य शिक्षकों की पदोन्नति धन के कुप्रबंधन और विश्वविद्यालयों में अयोग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति में अनियमितताओं की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग के गठन के लिए राज्यपाल के रूप में कोविंद के कार्यकाल की प्रशंसा की गई थी। जून 2017 में जब उन्हें राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया तो नीतीश कुमार ने उनकी पसंद का समर्थन किया और निष्पक्ष होने और उनके शासन के दौरान राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए उनकी प्रशंसा की।

राष्ट्रपति

सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन द्वारा 19 जून 2017 को भारत के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किये गए। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की अमित शाह ने कहा कि रामनाथ कोविंद दलित समाज से उठकर आये हैं और उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए बहुत काम किया है वे पेशे से एक वकील हैं और उन्हें संविधान का अच्छा ज्ञान भी है इसलिए वे एक अच्छे राष्ट्रपति सिद्ध होंगे और आगे भी मानवता के कल्याण के लिए काम करते रहेंगे। 20 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति के निर्वाचन का परिणाम घोषित हुआ जिसमें कोविंद ने यूपीए की प्रत्याशी मीरा कुमार को लगभग 3 लाख 34 हजार वोटों के अंतर से हराया। कोविंद को 65.65 फीसदी वोट प्राप्त हुए। भारत के 13 वे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पश्चात 25 जुलाई 2017 को भारत के 14वे राष्ट्रपति के रूप में कोविंद ने शपथ ग्रहण की।

समाज सेवा

वह 'भाजपा दलित मोर्चा' के राष्ट्रीय अध्यक्ष और 'अखिल भारतीय कोली समाज' के अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्युरो के महामंत्री भी रहे।  

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