मुरली मनोहर जोशी

  • Posted on: 8 May 2023
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भारत के गृह मंत्री 

पद बहाल - 16 मई 1996 – 1 जून 1996 

पूर्वा धिकारी  शंकरराव चव्हाण 

उत्तरा धिकारी  ऍच॰ डी॰ देवगौड़ा 

मानव संसाधन विकास मंत्री, भारत सरकार 

कार्यकाल - 1998-2004 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, भारत सरकार 

कार्यकाल - 19 मई 1999 – 22 मई 2004 

उत्तरा धिकारी  अमित सिबल 

सांसद, लोक सभा 

पदस्थ 

कार्यालय ग्रहण  

2014 

पूर्वा धिकारी  श्रीप्रकाश जायसवाल 

चुनाव-क्षेत्र  कानपुर 

कार्यकाल - 2009-2014

पूर्वा धिकारी  डॉ. राजेश कुमार मिश्रा

उत्तरा धिकारी  नरेन्द्र मोदी

चुनाव-क्षेत्र  वाराणसी

कार्यकाल - 1996-2004

पूर्वा धिकारी  सरोज दुबे

उत्तरा धिकारी  कुंवर रेवती रमन सिंह

चुनाव-क्षेत्र  इलाहाबाद

कार्यकाल - 1977–1985

पूर्वा धिकारी  नरेन्द्र सिंह बिष्ट

उत्तरा धिकारी  हरीश रावत

चुनाव-क्षेत्र  अल्मोड़ा

जन्म  5 जनवरी 1934 (आयु 89)

नैनीताल, ब्रिटिश भारत

राष्ट्रीयता  भारतीय

राजनीतिक दल  भारतीय जनता पार्टी

जीवन संगी  तरला जोशी

शैक्षिक सम्बद्धता  इलाहाबाद विश्वविद्यालय

जीवनी

मुरली मनोहर जोशी जी का जन्म 5 जनवरी सन् 1934 को दिल्ली में हुआ था। उनका पैतृक निवास-स्थान वर्तमान उत्तराखण्ड के कुमायूँ क्षेत्र में है। उन्होंने अपना एम॰एस॰सी॰ इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया जहाँ प्राध्यापक राजेन्द्र सिंह उनके एक शिक्षक थे। यहीं से उन्होंने अपनी डॉक्टोरेट की उपाधि भी अर्जित की। उनका शोधपत्र स्पेक्ट्रोस्कोपी पर था। अपना शोधपत्र हिन्दी भाषा में प्रस्तुत करने वाले वे प्रथम शोधार्थी हैं। बाद में वे राष्ट्रीय राजनीति में आ गये।

उनके पिता का नाम श्री मनमोहन जोशी था। परिवार ब्राह्मण समुदाय से है। 1956 में जोशी का विवाह श्रीमती तरला जोशी से हुआ था। दंपति दो बेटियों, निवेदिता और प्रियंवदा के माता-पिता हैं।

वह पूर्व में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर थे। वे भाजपा के प्रमुख नेताओं में से एक थे। जोशी बाद में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री बने। जोशी को भारत सरकार द्वारा 2017 में दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

वर्ष 2019 में डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने प्रयागराज स्थिति अपना बंगला 6 करोड़ रुपए में बेच दिया। इस बंगले में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, भैरों सिंह शेखावत, कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के साथ कई दिग्गज नेताओं का आना जाना था। भारत रत्न नानाजी देशमुख भी जब प्रयागराज आते तो इसी बंगले में रुकते थे। डॉ. जोशी की दो बेटियों में से बड़ी बेटी प्रियंवदा का विवाह भी इसी बंगले से हुआ था।

2014 के लोकसभा चुनाव में वे उत्तर प्रदेश के कानपुर से सांसद थे।

भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता और पूर्व अध्‍यक्ष मुरली मनोहर जोशी का जन्‍म 5 जनवरी 1934 को नैनीताल में हुआ।

उन्‍होंने अपनी स्‍नातक डिग्री मेरठ कॉलेज तथा स्‍नातकोत्‍तर डिग्री इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से प्राप्‍त की। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही उन्‍होंने डॉक्‍टरेट की उपाधि भी प्राप्‍त की, उन्‍होंने भौतिकी में शोध कार्य किया और इस शोध कार्य को हिंदी में प्रकाशित किया।

अपनी युवावस्‍था में डॉ॰ जोशी राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ से जुड़ गए और गौ रक्षा संबंधी आंदोलनों में भागीदारी की।

1980 में डॉ. जोशी ने भारतीय जनता पार्टी की स्‍थापना में अपना सहयोग दिया और इसके अध्‍यक्ष बनें।

डॉ. जोशी तीन बार इलाहाबाद के विधायक रहे। और इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनावों में उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा। 15वीं लोकसभा में उन्‍होंने वाराणसी से बीजेपी उम्‍मीदवार के रूप में जीत दर्ज की।

1996 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार 13 दिनों के लिए बनी थी उस दौरान डॉ॰ जोशी ने गृह मंत्री का पदभार संभाला था। 15वीं लोकसभा के कार्यकाल में 1 मई 2010 को उन्‍हें लोक लेखांकन समिति का अध्‍यक्ष बनाया गया। 

राजनीति और सक्रियता

जोशी कम उम्र में दिल्ली में आरएसएस के संपर्क में आए और 1953-54 में गाय संरक्षण आंदोलन में भाग लिया 1955 में उत्तर प्रदेश के कुंभ किसान आंदोलन में भू-राजस्व मूल्यांकन को आधा करने की मांग की। भारत में आपातकाल की अवधि (1975-1977) के दौरान जोशी 26 जून 1975 से 1977 में लोकसभा चुनाव तक जेल में रहे। वे अल्मोड़ा से संसद सदस्य चुने गए। जब जनता पार्टी (जिसमें तब उनकी पार्टी शामिल थी) भारतीय इतिहास में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनाकर सत्ता में आई तो जोशी को जनता संसदीय दल का महासचिव चुना गया। सरकार गिरने के बाद उनकी पार्टी 1980 में जनता पार्टी से बाहर आई और भारतीय जनता पार्टी या भाजपा का गठन किया। जोशी ने पहले केंद्रीय कार्यालय को महासचिव के रूप में देखा और बाद में पार्टी के कोषाध्यक्ष बने। भाजपा के महासचिव के रूप में वे सीधे बिहार बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों के प्रभारी थे। बाद में जब भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत में सरकार बनाई तो जोशी ने कैबिनेट में मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में कार्य किया।

दिसंबर 1991 में जोशी ने एक यात्रा एकता यात्रा का आयोजन किया जिसका उद्देश्य यह संकेत देना था कि भाजपा राष्ट्रीय एकता का समर्थन करती है और अलगाववादी आंदोलनों का विरोध करती है। यह 11 दिसंबर को कन्याकुमारी तमिलनाडु में शुरू हुआ और 14 राज्यों का दौरा किया। 26 जनवरी 1992 को जम्मू और कश्मीर में भारतीय ध्वज फहराने के लिए रैली के अंतिम पड़ाव को न्यूनतम स्थानीय भागीदारी के साथ असफल माना गया।

जोशी को बाबासाहेब अंबेडकर महात्मा ज्योतिबा फुले और दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और कार्यों से प्रभावित माना जाता है। जोशी तीन बार के सांसद थे। मई 2004 के लोकसभा चुनाव में पराजित होने से पहले इलाहाबाद से। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के रूप में वाराणसी से 15 वीं लोकसभा के लिए चुनाव जीता। उन्होंने 1996 में 13 दिनों की सरकार के लिए गृह मंत्री के रूप में भी कार्य किया। जोशी को 2009 में भाजपा के घोषणापत्र तैयारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के "प्राउड पास्ट एलुमनी" के रूप में सम्मानित किया गया था। वह वाराणसी से मौजूदा सांसद थे और उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के लिए वह सीट छोड़ दी थी। बाद में उन्होंने कानपुर से चुनाव लड़ा और 2.23 लाख मतों के अंतर से निर्वाचन क्षेत्र से जीत गए।

मानव संसाधन मंत्री के तौर पर भी मुरली मनोहर जोशी ने बदलाव करते हुए कई पुरानी चीजों को बदला और लड़कियों को मुफ्त शिक्षा, सर्व शिक्षा अभियान, संस्कृत शिक्षा, मदरसों को आधुनिक और कंप्यूटर से लैस बनाना, उर्दू में शिक्षा को बढ़ावा देना, स्कॉलरशिप में इजाफा आदि में कई बदलाव उनके द्वारा लाए गए। 

मुरली मनोहर जोशी साल 1992-96 तक राज्यसभा में रहें। इस दौरान वह कई समितियों जैसे विज्ञान एवं तकनीक पर स्टैंडिंग कमेटी, पर्यावरण एवं वन, सिलेक्ट कमिटी ओन पेटेंट लॉ, सिलेक्ट ट्रेडमार्क आन ट्रेड मार्क बिल, स्टैंडिंग कमेटी आन फाइनेंस, रक्षा सलाहकार समिति समेत कई अन्य समितियों के सदस्य भी बने।

मुरली मनोहर जोशी ने ही पैक (पब्लिक अकाउंट्स कमेटी) के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने पहली बार सार्क देशों के पैक को बुलाकर सम्मेलन का आयोजन किया था।

डॉ. जोशी के नेतृत्व में कई ऐसे कदम उठाए गए जिनसे महिलाओं, अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों को फायदा मिले, तेजी से इन प्रयासों को गति देने के लिए काम की प्रक्रिया में तेजी लाई गई। डॉ. जोशी प्रधानमंत्री की आईटी टास्क फोर्स के अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने इस कड़ी में 11 राजकीय स्तर के इंजीनियरिंग कॉलेजों को अपग्रेड करते हुए एनआईटी में तब्दील कर दिया और दाखिले की संख्या भी बढ़ा दी।

राजनीति में डॉ. जोशी का काफी अहम योगदान रहा। उन्होंने संस्कृति के मामले में भी काफी अहम योगदान दिया। उन्होंने महात्मा बुद्ध, खालसा पंथ, रामकृष्ण मिशन, संत ज्ञानेश्वर और छत्रपति शिवाजी से लेकर महात्मा गांधी और गालिब द्वारा दी गई शिक्षा को भी अलग-अलग तरह से पाठ्यक्रम में शामिल करने की नीति बनाई।

राजनीतिक यात्रा - 

साल 1953-54 तक गौ संरक्षण आंदोलन में भाग लिया था।

साल 1955 में यूपी के कुंभ किसान आंदोलन के एक्टिव मेंबर रहें।

साल 1977 में अल्मोड़ा निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए सांसद बने।

साल1980 में बीजेपी में शामिल हुए. जहां उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया।

साल 1991 से 1993 तक वह बीजेपी के अध्यक्ष थे।

1996 में इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से संसद के सदस्य बने।

साल 1998 से 2004 तक मानव संसाधन विकास मंत्री रहे।

साल 2009 में उन्हें बीजेपी के घोषणापत्र तैयारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था।

साल 2009 के आम चुनाव में उन्हें वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुना गया।

2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पीएम नरेंद्र के लिए अपनी सीट खाली कर दी, कानपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा।

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से प्रधानमंत्री बनने तक वाजपेयी के साथ लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम हमेशा जुड़ता रहा। मुरली मनोहर जोशी को बीजेपी की तीसरी धरोहर भी कहा जाता है। देश में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के पद पर थे तब आडवाणी उप प्रधानमंत्री थे तो जोशी मानव संसाधन विकास मंत्री। इन तीनों नेताओं को लेकर एक नारा खूब लगता था, 'भाजपा की तीन धरोहर- अटल-आडवाणी-मुरली मनोहर।

विवाद - 

जोशी उस समय सुर्ख़ियों में रहे जब उन्होंने रिपोर्टर सुमित अवस्थी से सवाल पूछने की मांग की जिस तरह से पूर्व चाहते थे। जोशी ने मीडिया के कैमरे से क्लिप को भी हटा दिया ताकि वह खुद को होने वाले नुकसान को रोक सके।

वर्ष 2015 में कोबरापोस्ट ने बिहार दलित नरसंहार में मुरली मनोहर जोशी के रणवीर सेना के साथ संबंधों को उजागर किया।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपियों में उनका भी नाम सामने आया था। 1992 में दर्ज किए गए कुल 49 मामलों में से दूसरा मामला, एफआईआर नंबर 198 में उमा भारती का भी नाम था। 1993 में सीबीआई ने उमा भारती, लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे सहित 48 लोगों के खिलाफ एकल, समेकित आरोप पत्र दायर किया।

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद आडवाणी, जोशी और उमा भारती के खिलाफ मामला ललितपुर से रायबरेली लखनऊ चला गया। 30 सितंबर 2020 को 28 साल बाद लखनऊ में एक विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। जिनमें भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती शामिल थे। 

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद हजारों "कार सेवकों" द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था जो मानते थे कि मस्जिद को एक प्राचीन मंदिर के खंडहर पर बनाया गया था जो भगवान राम के जन्मस्थान को चिह्नित करता था। नवंबर 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से आयोध्या राम मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया।

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