द्रौपदी मुर्मू

  • Posted on: 23 April 2023
  • By: admin

भारत की 15वीं राष्ट्रपति 

कार्यालय ग्रहण - 25 जुलाई 2022 

प्रधानमंत्री - नरेन्द्र मोदी 

उप राष्ट्रपति - वेंकैया नायडू 

जगदीप धनखड़ 

पूर्वा धिकारी - रामनाथ कोविन्द 

झारखंड की राज्यपाल 

पद बहाल - 18 मई 2015 – 12 जुलाई 2021 

मुख्यमंत्री  रघुवर दास, हेमंत सोरेन 

पूर्वा धिकारी - सैयद अहमद 

उत्तरा धिकारी - रमेश बैस 

ओडिशा विधानसभा के सदस्य 

पद बहाल - 2000 – 2009 

पूर्वा धिकारी - लक्ष्मण मांझी 

उत्तरा धिकारी - श्याम चरण हंसदाह 

चुनाव-क्षेत्र - रायरंगपुर 

जन्म - 20 जून 1958 (आयु 64) 

उपरबेड़ा, मयूरभंज, ओडिशा, भारत 

राजनीतिक दल  भारतीय जनता पार्टी 

जीवन संगी - श्याम चरण मुर्मू 

बच्चे  3 

शैक्षिक सम्बद्धता - रमा देवी महिला विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर 

पेशा - राजनीतिज्ञ 

रौपदी मुर्मू (जन्म : 20 जून 1958) भारत की 15वीं और वर्तमान राष्ट्रपति के रूप में सेवारत एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्या थी। वह भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने वाली जनजातीय समुदाय से संबंधित पहली व्यक्ति हैं। मुर्मू, प्रतिभा पाटिल के बाद भारत की राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने वाली दूसरी महिला हैं। प्रबुद्ध सोसाइटी द्रौपदी मुर्मू को प्रबुद्ध महिला सम्राट से अलंकृत किया है! राष्ट्रपति पद को संभालने वाली ओडिशा की द्वितीय व्यक्ति हैं और देश की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं। मुर्मू भारत की आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने 2000 से 2004 के बीच ओड़िशा सरकार के मंत्रिमंडल में विभिन्न विभागों में सेवा दी। 2015 से 2021 तक झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला। 

व्यक्तिगत जीवन

रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था। उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गाँव के प्रधान रहे। उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया। उनके दो बेटे और एक बेटी हुए। दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनकी पत्नियां तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी। उनकी पुत्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं। द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया। उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति में आ गयीं। 

राजनीतिक जीवन

द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया था। उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं है।

द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं। ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था

द्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं। उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी। झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई थी। झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा।  साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी भी हैं। द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून 2022 में अपना नामांकन किया, उनके नामांकन में  पीएम मोदी प्रस्तावक और राजनाथ सिंह अनुमोदक बने। 

पत्थलगड़ी आंदोलन

2016-2017 में रघुबर दास मंत्रालय छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट 1908 और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट 1949 में संशोधन की मांग कर रहा था। इन दो मूल कानूनों ने उनकी भूमि पर आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा की थी। मौजूदा कानूनों के अनुसार भूमि का लेन-देन केवल आदिवासी समुदायों के बीच ही किया जा सकता था। नए संशोधनों ने आदिवासियों को यह अधिकार दिया कि वे सरकार को आदिवासी भूमि का व्यावसायिक उपयोग करने और आदिवासी भूमि को पट्टे पर लेने की अनुमति दें। मौजूदा कानून में संशोधन करने वाले प्रस्तावित विधेयक को झारखंड विधानसभा ने मंजूरी दे दी थी। बिल नवंबर 2016 में मुर्मू को मंजूरी के लिए भेजे गए थे। 

आदिवासी लोगों ने प्रस्तावित कानून का कड़ा विरोध किया था। पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान किरायेदारी अधिनियमों में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे। एक घटना में विरोध हिंसक हो गया और आदिवासियों ने भाजपा सांसद करिया मुंडा के सुरक्षा घेरे को अगवा कर लिया। पुलिस ने आदिवासी समुदायों पर हिंसक कार्रवाई की जिससे एक आदिवासी व्यक्ति की मौत हो गई। आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी सहित 200 से अधिक लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। आंदोलन के दौरान आदिवासी समुदायों के खिलाफ पुलिस की आक्रामकता पर नरम रुख रखने के लिए मुर्मू की आलोचना की गई थी। महिला आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता आलोक कुजूर के अनुसार उन्हें आदिवासियों के समर्थन में सरकार से बात करने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसके बजाय उन्होंने पत्थलगढ़ी आंदोलन के नेताओं से संविधान में विश्वास रखने की अपील की। 

बिल में संशोधन के खिलाफ मुर्मू को कुल 192 ज्ञापन मिले थे। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा था कि भाजपा सरकार कॉरपोरेट्स के फायदे के लिए दो संशोधन विधेयकों के जरिए आदिवासियों की जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है। विपक्षी दलों झारखंड मुक्ति मोर्चा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस झारखंड विकास मोर्चा और अन्य ने बिल के खिलाफ तीव्र दबाव डाला था। 24 मई 2017 को मुर्मू ने भरोसा किया और बिलों को सहमति देने से इनकार कर दिया और उन्हें मिले ज्ञापनों के साथ राज्य सरकार को बिल वापस कर दिया। बिल को बाद में अगस्त 2017 में वापस ले लिया गया था।

धर्म और भूमि विधेयक

2017 में उन्होंने धर्म की स्वतंत्रता विधेयक 2017 और झारखंड विधानसभा द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण 2013 अधिनियम में संशोधन करने वाले विधेयक को मंजूरी दी। नया धर्म विधेयक किसी व्यक्ति को अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर करने या लुभाने के लिए तीन साल की जेल की सजा के अधीन अपराध बनाता है। यदि ज़बरदस्ती किया गया व्यक्ति अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य है नाबालिग है या महिला है तो जेल की अवधि चार साल तक बढ़ जाती है। जुर्माना किसी भी सूरत में लगाया जा सकता है। बिल ने स्वैच्छिक धर्मांतरण के लिए उपायुक्त को अपने धर्मांतरण के बारे में सूचित करना और परिस्थितियों के बारे में पूरी जानकारी देना अनिवार्य कर दिया। 

भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 में संशोधनों में मुआवजे की अवधि और सामाजिक प्रभावों के आकलन की आवश्यकताओं में बदलाव शामिल हैं। पारित कानून के अनुसार आदिवासी भूमि के सरकारी अधिग्रहण के लिए मौद्रिक मुआवजे का भुगतान अधिग्रहण के छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए। कुछ प्रकार की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सामाजिक प्रभाव आकलन की आवश्यकता को हटा दिया गया। 

राष्ट्रपति के चुनाव का अभियान

जून 2022 में भाजपा ने मुर्मू को अगले महीने 2022 के चुनाव के लिए भारत के राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार के रूप में नामित किया। यशवंत सिन्हा को विपक्षी दलों द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था। अपने चुनाव अभियान के दौरान मुर्मू ने अपनी उम्मीदवारी के समर्थन के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा किया। बीजेडी वाईएसआरसीपी जेएमएम बीएसपी एसएस जेडी(एस) जैसे कई विपक्षी दलों ने मतदान से पहले उनकी उम्मीदवारी के समर्थन की घोषणा की थी। 21 जुलाई 2022 को मुर्मू ने 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में आम विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 28 में से 21 राज्यों (पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेश सहित) में 676,803 चुनावी वोटों (कुल का 64.03%) से हराकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया। 

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