कर्नाटक

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

  • Posted on: 26 August 2023
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO, इसरो) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय कर्नाटक राज्य के बंगलौर में है। संस्थान का मुख्य कार्यों में भारत के लिये अंतरिक्ष सम्बधी तकनीक उपलब्ध करवाना व उपग्रहों, प्रमोचक यानों, साउन्डिंग राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास करना शामिल है। 1962 में एक समिति जिसका नाम 'अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति' (इनकोस्पार) के रूप में इसकी स्थापना की गई थी। परंतु 15 अगस्त 1969 को एक संगठन के रूप में इसका पुनर्गठन किया गया और इसे वर्तमान नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कहकर बुलाया जाने लगा।

चित्रदुर्ग

  • Posted on: 16 August 2023
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चित्रदुर्ग कर्नाटक के 30 जिलों में से एक और ऐतिहासिक महत्व वाला स्थान है जो बेंगलुरु से 200 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में स्थित है। इसमें चित्रदुर्ग, मोलकालमुर, होलालकेरे, हिरियुरू, चल्लकेरे और होसदुर्गा जैसे तालुक शामिल हैं। चित्रदुर्ग अपने विचित्र मिथकों, पाषाण युग के मानव आवासों, प्राचीन, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थलों से समृद्ध होने के कारण बहुत विशिष्ट है, यह हजारों वर्षों की सभ्यता और प्राचीनता और आधुनिकीकरण के मिश्रण वाला स्थान रहा है।

कर्नाटक

  • Posted on: 15 August 2023
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कर्नाटक जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का सृजन 1 नवंबर, 1956 को राज्य पुनर्संगठन अधिनियम के अधीन किया गया था। मूलतः यह मैसूर राज्य कहलाता था और 1973 में इसे पुनर्नामकरण कर कर्नाटक नाम मिला था। कर्नाटक की सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। राज्य का कुल क्षेत्रफल 74,122 वर्ग मील (1,91,976 वर्ग कि॰मी॰) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5.83% है। यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है और इसमें 29 जिले हैं। राज्

एच॰ डी॰ देवगौड़ा

  • Posted on: 9 May 2023
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हरदनहल्ली डोडेगौडा देवगौडा(जन्म 18 मई 1933) भारत के बारहवें प्रधानमंत्री हैं। उनका कार्यकाल सन् 1996 से 1997 तक रहा। इसके पूर्व 1994 से 1996 तक वे कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे। 

श्री एच.डी. देवेगौड़ा समाज के हर वर्ग को धैर्यपूर्वक सुनने के लिए जाने जाते हैं और इस प्रकार उन्हें 'मिट्टी का पुत्र' कहा जाता था। अपने कार्य दिवसों के दौरान, वह विधानसभा की पुस्तकालय में किताबें पढ़ने में भी रुचि रखते थे। इसके अलावा, वह संसद की प्रतिष्ठा और गरिमा को बनाए रखने के लिए लोकप्रिय है।