आगरा
आगरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। आगरा शहर यमुना नदी के तट पर स्थित एक महानगर है। यह राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के 206 किलोमीटर (128 मील) दक्षिण में स्थित है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार 15,85,704 की जनसंख्या के साथ आगरा उत्तर प्रदेश का चौथा और भारत का 23वां सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है।
देश - भारत
राज्य - उत्तर प्रदेश
मंडल - आगरा
ज़िला - आगरा
शासन
• प्रणाली नगर निगम
• सभा आगरा नगर निगम
• मेयर - हेमलता दिवाकर कुशवाह(पूर्व विधायक) (भाजपा)
ऊँचाई - 171 मी (561 फीट)
जनसंख्या (2011)
• नगर 15,85,704
• दर्जा 24वाँ
• महानगर - 17,60,285
भाषा
• आधिकारिक हिन्दी
• अतिरिक्त आधिकारिक उर्दू
समय मण्डल - भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
दूरभाष कोड 0562
वाहन पंजीकरण UP-80
लिंगानुपात 0.875 ♂/♀
साक्षरता 73.11%
पर्यटन स्थल : ताज महल, आगरा, चीनी का रौजा, ताज नेचर वाँक, सौमजी महाराज की समाधि, राम बाग, मेहताब बाग, इतिमद-उद-दौला, सिकंदरा, मरियम का मकबरा, जामा मस्जिद, मनकामेश्वर मंदिर, रवाली, बाल्केश्वर मंदिर, पृथ्वीनाथ मंदिर, राजेश्वर मंदिर, गुरु का ताल गुरुद्वारा, सेंट पीटर कैथेड्रल, सेंट पेट्रिक, बैपटिस्ट चर्च, कैथोलिक चर्च, साई का टाकिया, दिगंबर जैन मंदिर आदि
सरकारी कॉलेज/विश्वविद्यालय : आगरा विश्वविद्यालय, सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा कॉलेज सेंट जाँन्स कॉलेज राजा बलवंत सिंह कॉलेज दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज बाबू मोहन लाल आर्य स्मारक इंजीनियरिंग कॉलेज फार्मेसी कॉलेज आनंद फार्मेसी कॉलेज एमडी कॉलेज आदि
आगरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। आगरा शहर यमुना नदी के तट पर स्थित एक महानगर है। यह राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के 206 किलोमीटर (128 मील) दक्षिण में स्थित है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार 15,85,704 की जनसंख्या के साथ आगरा उत्तर प्रदेश का चौथा और भारत का 23वां सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है।
दिल्ली सल्तनत के उदय से पहले आगरा का इतिहास स्पष्ट नहीं है। 17 वीं शताब्दी के एक वृत्तांत में सिकंदर लोदी (1488-1517) के समय से पहले आगरा को एक पुरानी बस्ती के रूप में बुलाया था, जो महमूद गजनवी द्वारा इसके विनाश के कारण महज एक गाँव था। 11 वीं सदी के फ़ारसी कवि मासूद सलमान ने आगरा के किले पर गजनवी के आक्रमण का उल्लेख किया है, जो तब राजा जयपाल के शासनाधीन था। जयपाल के आत्मसमर्पण के बावजूद, महमूद ने किले को लूट लिया था। 1504 में सिकंदर लोदी ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थानांतरित किया था। उनके काल में किले में कई महल, कुएँ और एक मस्जिद का निर्माण किया गया। 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में हार के बाद यह मुगल शासन के अंतर्गत आया। 1540 और 1556 के बीच, शेरशाह सूरी ने इस क्षेत्र पर शासन किया। यह 1556 से 1648 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रहा। आगरा पर बाद में मराठों का अधिपत्य रहा, जिनके बाद यह ब्रिटिश राज के अंतर्गत आ गया।
आगरा अपनी कई मुगलकालीन इमारतों के कारण एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, विशेषकर ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी के लिये, जो सभी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। दिल्ली और जयपुर के साथ आगरा गोल्डन ट्राइंगल टूरिस्ट सर्किट में शामिल है। और लखनऊ और वाराणसी के साथ यह उत्तर प्रदेश राज्य के एक पर्यटक सर्किट, उत्तर प्रदेश हेरिटेज आर्क का हिस्सा है। सांस्कृतिक रूप से आगरा ब्रज क्षेत्र में स्थित है। आगरा 27.18° उत्तर 78.02° पूर्व में यमुना नदी के तट पर स्थित है। समुद्र-तल से इसकी औसत ऊँचाई क़रीब 171 मीटर (561 फ़ीट) है। यह यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से दिल्ली से और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के माध्यम से लखनऊ से जुड़ा हुआ है।
इतिहास - मुगल काल से पूर्व
आगरा के दो इतिहास हैं: पहला यमुना नदी के बाएं तट पर पूर्वी दिशा की ओर स्थित कृष्ण और महाभारत की किंवदंतियों में वर्णित प्राचीन नगर का, जिसे सिकंदर लोदी द्वारा 1504-1505 में पुनः स्थापित किया गया था। और दूसरा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित आधुनिक नगर का, जो 1558 में अकबर द्वारा स्थापित किया गया था, और आज विश्व भर में ताज-नगरी के रूप में जाना जाता है। प्राचीन आगरा की नींव के कुछ निशानों को छोड़कर अब कुछ नहीं बचा है। यह भारत में हुए मुस्लिम आक्रमणों से पहले विभिन्न हिंदू राजवंशों के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण स्थान था, लेकिन इसका इतिहास अस्पष्ट है। 17 वीं शताब्दी के इतिहासकार अब्दुलल्लाह ने लिखा है कि सिकंदर लोदी के शासनकाल से पहले यह एक गांव था और यहाँ के पुराने किले का प्रयोग मथुरा के राजा द्वारा जेल के रूप में किया जाता था। नगर का विनाश 1017 में महमूद गजनवी द्वारा किए गए विध्वंस के परिणामस्वरूप हुआ। मसूद साद सलमान ने दावा किया है कि वह वहीं था, जब महमूद ने आगरा पर आक्रमण किया। राजा जयपाल ने स्थिति की भयावहता को देखकर आत्मसमर्पण कर दिया था परन्तु फिर भी महमूद नगर को लूटने के लिए आगे बढ़ गया।
आगरा का ऐतिहासिक महत्त्व दिल्ली सल्तनत के अफगान शासक सुल्तान सिकंदर लोधी के शासनकाल (1489-1517) के समय शुरू हुआ। सिकंदर लोधी ने एक नवीन नगर की स्थापना के लिए एक आयोग नियुक्त किया, जिसने दिल्ली से इटावा तक यमुना के दोनों किनारों का निरीक्षण और सर्वेक्षण किया, और अंत में नगर की स्थापना के लिए यमुना के पूर्व दिशा की ओर एक स्थान चुना। 1504-1505 में, सिकंदर लोदी ने आगरा का पुनर्निर्माण किया और इसे सल्तनत की राजधानी बना दिया। यमुना के बाएं किनारे पर स्थित आगरा लोधी शासनकाल में शाही अधिकारियों, व्यापारियों, विद्वानों, धर्मशास्त्रियों और कलाकारों की उपस्थिति के साथ एक बड़े एवं समृद्ध नगर के रूप में विकसित हुआ। यह भारत में इस्लामी शिक्षा के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक बन गया। सुल्तान ने नगर के उत्तर में सिकंदरा ग्राम की भी स्थापना की और वहां 1495 में लाल बलुआ पत्थर की एक बारादरी बनाई, जिसे जहांगीर ने एक मकबरे में बदल दिया था, और अब अकबर की महारानी मरियम-उज़-ज़मानी के मकबरे के रूप में जाना जाता है।
1517 में सुल्तान की मृत्यु के बाद आगरा उसके पुत्र इब्राहिम लोदी (शासनकाल 1517-26) के पास चला गया, जिसने 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में मुगल सम्राट बाबर के हाथों अपनी मृत्यु तक आगरा से ही दिल्ली सल्तनत पर शासन किया।
मुगल काल
आगरा का स्वर्ण युग मुगलों के साथ शुरू हुआ। 1658 तक आगरा मुगल साम्राज्य की राजधानी होने के साथ-साथ भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे प्रमुख शहर था, जिसके बाद औरंगज़ेब ने राजधानी और पूरे दरबार को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया। भारत के पहले औपचारिक मुगल उद्यान, आराम बाग की स्थापना बाबर ने यमुना नदी के तट पर की थी।
मुगल वंश के संस्थापक बाबर (शासनकाल 1526-30 ने 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में लोधी और ग्वालियर के तोमरों को हराकर आगरा पर अधिकार कर लिया। पानीपत के युद्ध के तुरंत बाद आगरा के साथ बाबर का संबंध शुरू हुआ। उसने अपने बेटे हुमायूँ को आगे भेजा, जिसने निर्विरोध नगर पर अधिकार कर लिया। पानीपत में मारे गए ग्वालियर के राजा ने अपने परिवार और अपने कबीले के मुखियाओं को आगरा में छोड़ दिया था। हुमायूँ ने उनके साथ उदारता से व्यवहार किया और उन्हें लूट से बचाया, जिस कारण उन्होंने श्रद्धांजलि के रूप में मुगलों को बहुत सारे गहने और कीमती रत्न भेंट किए, जिनमें प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भी था। बाबर ने यमुना नदी के तट पर भारत के पहले औपचारिक मुगल उद्यान, आराम बाग की स्थापना की। बाबर आगरा में अपनी राजधानी स्थापित करने के लिए दृढ़ था, लेकिन इस क्षेत्र की उजाड़ स्थिति से लगभग निराश था, जैसा कि उसके संस्मरण, बाबरनामा के इस उद्धरण से स्पष्ट है:
मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान की सबसे प्रमुख कमियों में से एक कृत्रिम जलकुंडों की आवश्यकता है। मेरी इच्छा थी कि जहाँ भी मैं अपना निवास स्थान तय करूँ, वहाँ पनचक्कियाँ लगाऊँ, एक कृत्रिम धारा का निर्माण करूँ, और एक सुंदर व नियमित रूप से नियोजित आनंद स्थल बनाऊँ। आगरा आने के कुछ ही समय बाद मैंने इस विचार को ध्यान में रखते हुए जमुना को पार किया, और एक बगीचे के लिए उपयुक्त स्थान का चयन करने के लिए क्षेत्र की जांच की। यह सब इतना भद्दा और घृणास्पद था कि मैं निराश होकर वापस नदी पार लौट आया। सुंदरता की कमी और क्षेत्र के अप्रिय पहलुओं के परिणामस्वरूप, मैंने चारबाग बनाने का इरादा छोड़ दिया। लेकिन क्योंकि आगरा के आस-पास कोई बेहतर परिस्थिति सामने नहीं आयी, तो मैं आखिरकार उसी जगह को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए मजबूर हो गया... हर कोने में मैंने उपयुक्त बगीचे लगाए, हर बगीचे में मैंने नियमित रूप से गुलाब और नरगिस बोए, और इन्हें एक दूसरे के अनुरूप फुलवारियों में लगाया। हिन्दुस्तान में हम तीन चीजों से परेशान थे। एक उसकी गर्मी, दूसरी तेज हवाएं, और तीसरी उसकी धूल। स्नानागार इन तीनों कष्टों को दूर करने का साधन थे।
बाबर के नगर, उसके फलों और फूलों के बगीचों, महलों, स्नानागारों, तालाबों, कुओं और जलकुंडों के बहुत कम अवशेष बचे हैं। बाबर के चारबाग के अवशेष आज यमुना के पूर्व की ओर आराम बाग में देखे जा सकते हैं। बाबर के बाद उसका पुत्र हुमायूँ (शासनकाल 1530-40 और 1555-56 आया, लेकिन ताजपोशी के ठीक नौ साल बाद 1539 में शेर शाह सूरी ने उसे कन्नौज के युद्ध में पराजित कर दिया। सूरी एक अफगान रईस था, जो बाबर के शासनकाल में बिहार का राज्यपाल था। 1540 और 1556 के बीच सूरी ने अल्पकालिक सूरी साम्राज्य की स्थापना की। हालाँकि, इस क्षेत्र को अंततः 1556 में पानीपत के द्वितीय युद्ध में हुमायूँ के पुत्र अकबर द्वारा फिर से जीत लिया गया।
अकबर (शासनकाल 1556-1605) और उसके बाद उनके पोते शाहजहाँ के शासन काल में आगरा विश्व इतिहास में अमर हो गया था। अकबर ने यमुना के दाहिने किनारे पर आगरा के आधुनिक शहर का निर्माण किया, जहां इसका अधिकांश हिस्सा अभी भी निहित है। उसने नगर को राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्त्व के एक महान केंद्र के रूप में बदल दिया, और इसे अपने विशाल साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों से जोड़ा। अकबर ने आगरा को शिक्षा, कला, वाणिज्य और धर्म का केंद्र बनाने के अलावा, आगरा के किले की विशाल प्राचीरों का भी निर्माण करवाया। इसके अतिरिक्त उसने आगरा से लगभग 35 किमी दूर, फतेहपुर सीकरी में एक नई राजधानी भी बसाई, जिसे, हालाँकि, अंततः छोड़ दिया गया। अकबर की मृत्यु से पहले, आगरा पूर्वी विश्व के सबसे बड़े नगरों में से एक बन गया था, जिसके बाज़ारों में बड़ी मात्रा में व्यापार और वाणिज्य होता था। अकबर के जीवन काल में सितंबर 1585 में आगरा का दौरा करने वाले अंग्रेज यात्री राल्फ फिच ने नगर के बारे में लिखा है:
आगरा एक बहुत बड़ा नगर है, और सघन आबादी वाला, पत्थर से बना है, जिसके पास साफ और बड़ी सड़कें हैं और एक साफ नदी इससे होकर बहती है... आगरा और फतेहपुर सीकरी दो बहुत बड़े नगर हैं, दोनों लंदन से बड़े है, और बहुत अधिक आबादी वाले हैं। आगरा और फतेहपुर के बीच बारह मील (वास्तव में कोस) की दूरी है और पूरे रास्ते में भोजन और अन्य चीजों का बाजार है जैसे कि कोई आदमी अभी भी नगर में ही हो, और इतने सारे लोग कि कोई आदमी बाजार में हो।
फिच की इन धारणाओं की पुष्टि एक अन्य यूरोपीय यात्री विलियम फिंच ने की, जिसने आगरा के बारे में टिप्पणी की: यह विस्तृत, विशाल, अगणनीय आबादी वाला है, इतना कि आप बमुश्किल सड़क पार कर सकते हैं... अकबर के उत्तराधिकारी जहांगीर के शासनकाल के दौरान भी आगरा विस्तृत होता और फलता-फूलता रहा, जैसा कि उसने अपनी आत्मकथा तुजक-ए-जहाँगीरी में लिखा है:
आगरा का निवास्य हिस्सा नदी के दोनों किनारों पर फैला हुआ है। इसके पश्चिम की ओर, जिसकी जनसंख्या अधिक है, इसकी परिधि सात कोस है, और इसकी चौड़ाई एक कोस है। नदी के दूसरी ओर, पूर्व की ओर, बसे हुए भाग की परिधि 21⁄2 कोस है, इसकी लंबाई एक कोस और इसकी चौड़ाई आधा कोस है। लेकिन भवनों की संख्या के मामले में यह इराक, खुरासान और ट्रांस-ऑक्सियाना के कई नगरों के समतुल्य है। कई लोगों ने इसमें तीन या चार मंजिला भवन खड़े कर दिए हैं। लोगों की भीड़ इतनी अधिक है कि गलियों और बाजारों में घूमना मुश्किल है।
अकबर के उत्तराधिकारी जहाँगीर (शासनकाल 1605-27) को वनस्पतियों और जीवों से प्यार था और उसने लाल किले के अंदर कई उद्यान बनाए। सिकंदरा में अकबर का मकबरा जहाँगीर के शासनकाल में बनकर तैयार हुआ था। आगरा के किले में जहाँगीरी महल और एतमादुद्दौला का मकबरा भी जहाँगीर के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। जहांगीर आगरा से अधिक लाहौर और कश्मीर से प्रेम करता था, लेकिन आगरा फिर भी उसके शासनकाल में साम्राज्य का सबसे प्रमुख नगर बना रहा। हालाँकि, वह शाहजहाँ (शासनकाल 1628-58) था, जिसकी निर्माण गतिविधि ने आगरा को उसकी महिमा के शिखर तक पहुँचाया। शाहजहाँ, जो वास्तुकला में गहरी रुचि के लिए जाना जाता है, ने आगरा को अपना सबसे बेशकीमती स्मारक, ताजमहल दिया। उसकी पत्नी मुमताज महल की प्रेमपूर्ण स्मृति में निर्मित यह मकबरा 1653 में बनकर तैयार हुआ था। जामा मस्जिद और किले के अंदर दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, मोती मस्जिद समेत कई अन्य उल्लेखनीय इमारतें भी शाहजहां के आदेश पर ही योजनाबद्ध एवं निष्पादित की गई।
शाहजहाँ ने बाद में वर्ष 1648 में राजधानी को शाहजहानाबाद (अब दिल्ली) में स्थानांतरित कर दिया, और उसके बाद उसके बेटे औरंगजेब (शासनकाल 1658-1707) ने 1658 में पूरे दरबार को दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया। इसके साथ ही आगरा का पतन तेजी से शुरू हुआ। फिर भी, आगरा का सांस्कृतिक और सामरिक महत्त्व अप्रभावित रहा और आधिकारिक पत्राचार में इसे साम्राज्य की दूसरी राजधानी के रूप में जाना जाता रहा।
ब्रिटिश काल
मुगल साम्राज्य के पतन के उपरान्त कई क्षेत्रीय शक्तियों का उदय हुआ, और 18वीं शताब्दी के अंत तक आगरा का नियंत्रण जाटों, मराठों और ग्वालियर के शासकों के हाथों होता हुआ अंत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पास चला गया। भरतपुर के जाटों ने मुगल दिल्ली के विरुद्ध कई युद्ध किए और 17वीं और 18वीं शताब्दी में आगरा सहित समीपवर्ती मुगल क्षेत्रों में कई अभियान चलाए। इसके बाद आगरा मराठों के भी अधीन रहा, हालाँकि द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध में मराठों की पराजय के पश्चात 1803 की सुर्जी-अर्जुनगाँव की सन्धि के अंतर्गत सम्पूर्ण आगरा परिक्षेत्र पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अधिकार कर लिया। 1834-1836 में आगरा एक गवर्नर द्वारा प्रशासित अल्पकालिक आगरा प्रेसीडेंसी की राजधानी बना। इसके बाद 1836 से 1868 तक यह एक लेफ्टिनेंट-गवर्नर द्वारा शासित उत्तर-पश्चिमी प्रान्त की भी राजधानी रहा। आगरा 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के केंद्रों में से एक था।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मेरठ में हुए विद्रोह की खबर 14 मई को आगरा पहुंची। 30 मई को ब्रिटिश सरकार द्वारा 44वीं और 67वीं नेटिव इन्फैंट्री की कुछ कंपनियों को राजकोष लाने के लिए मथुरा भेजा गया था, परन्तु उन्होंने विद्रोह कर दिया और राजकोष को दिल्ली में विद्रोहियों के पास ले गए। आगरा में भी विद्रोह के फैलने की आशंका के कारण आगरा छावनी में जितनी भी देशी पैदल सेना बटालियनें थी, सभी को 31 मई को अंग्रेजों द्वारा निरस्त्र कर दिया गया। हालाँकि, जब ग्वालियर की टुकड़ी ने 15 जून को विद्रोह किया, तो अन्य सभी देशी इकाइयों ने भी इसका अनुसरण किया। 2 जुलाई को विद्रोही सेना की नीमच और नसीराबाद टुकड़ियाँ फतेहपुर सीकरी पहुँची। विद्रोहियों के आगरा में आगे बढ़ने के डर से, 3 जुलाई को लगभग 6000 यूरोपीय और संबंधित लोग सुरक्षा के लिए आगरा किले में चले गए। 5जुलाई को वहां तैनात ब्रिटिश सेना ने विद्रोहियों की एक निकट आ रही सेना पर हमला करने का प्रयास किया, जिसमें उन्हें विद्रोहियों के हाथों पराजय प्राप्त हुई, और अंग्रेज वापस किले में लौट आए। लेफ्टिनेंट-गवर्नर, जे.आर. कॉल्विन, की वहीं मृत्यु हो गई, और बाद में उन्हें दीवान-ए-आम के सामने दफना दिया गया। हालाँकि, विद्रोही दिल्ली चले गए, क्योंकि वह विद्रोहियों के लिए एक अधिक महत्वपूर्ण जगह थी।
विद्रोह के कारण नगर में अव्यवस्था चरम पर थी, लेकिन फिर भी अंग्रेज 8 जुलाई तक आंशिक व्यवस्था बहाल करने में सफल रहे। दिल्ली सितंबर में अंग्रेजों के अधीन हो गई, जिसके बाद ब्रिगेडियर एडवर्ड ग्रेटेड के नेतृत्व में एक पैदल सेना ब्रिगेड विद्रोहियों के विरोध के बिना 11 अक्टूबर को आगरा पहुंची। उनके आगरा आने के कुछ ही समय बाद विद्रोहियों की एक और सेना ने अचानक ब्रिगेड पर हमला कर दिया, जिसमें विद्रोहियों की हार हुई। अंग्रेजों की इस छोटी सी जीत को आगरा की लड़ाई का नाम दिया गया। हालाँकि, दिल्ली, झांसी, मेरठ और अन्य प्रमुख विद्रोही शहरों और क्षेत्रों की तुलना में आगरा में विद्रोह अपेक्षाकृत मामूली था। इसके बाद ब्रिटिश शासन फिर से सुरक्षित हो गया, और ब्रिटिश राज ने 1947 में भारत की स्वतंत्रता तक नगर पर शासन किया। उत्तर पश्चिमी प्रांत की राजधानी को 1868 में आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित कर दिया गया। परिमाणस्वरूप, आगरा मात्र एक प्रांतीय शहर ही रह गया, और धीरे-धीरे इसकी समृद्धि में निरंतर गिरावट आने लगी:
लेकिन ब्रिटिश भारत के प्रशासन की अर्थव्यवस्था में आगरा एक जिला मुख्यालय से ज्यादा कुछ नहीं है; इसका आकार, अनुपात और गतिविधियाँ इसकी वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप नीचे आ गई हैं, और शहर में निरंतर जीवन भारत के उस नीरस मुफस्सिल जीवन के औसत से ऊपर नहीं आता है, जिसे कई प्रतिभाशाली आंग्ल-भारतीय लेखकों द्वारा पहले ही कई बार बहुत स्पष्ट रूप से वर्णित किया जा चुका है। आगरा पिछले कुछ वर्षों में एक बड़ा रेलवे केंद्र बन गया है, और इसकी व्यावसायिक समृद्धि पुनर्जीवित होती दिख रही है।भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में आगरा की भूमिका को अच्छी तरह से प्रलेखित नहीं किया गया है। हालाँकि, 1857 के विद्रोह और स्वतंत्रता के बीच के वर्षों में यह नगर हिंदी और उर्दू पत्रकारिता का एक प्रमुख केंद्र था। आगरा में स्थित पालीवाल पार्क (पहले हेविट पार्क) का नाम एसकेडी पालीवाल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने नगर से हिंदी दैनिक सैनिक का प्रकाशन किया था।
स्वतंत्र भारत में
भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही आगरा उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहा है और धीरे-धीरे एक औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित हुआ है, जिसने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह नगर अब एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और दुनिया भर से पर्यटकों की मेजबानी करता है। ताजमहल और आगरा के किले को 1963 में, और फतेहपुर सीकरी को 1986 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ। ताजमहल में साल भर बड़ी संख्या में पर्यटकों, छायाचित्रकारों, इतिहासकारों और पुरातत्वविदों का आगमन लगा ही रहता है। ताजमहल भारत और उसकी मृदु शक्ति का प्रतीक बन गया है। स्वतंत्रता के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट डेविड आइज़नहावर (1959), बिल क्लिंटन (2000) और डॉनल्ड ट्रम्प (2020) जैसे विश्व नेताओं ने ताजमहल का दौरा किया है। यूनाइटेड किंगडम की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1961 में अपनी भारत यात्रा पर ताजमहल का दौरा किया था। इनके अतिरिक्त रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (1999), चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ (2006), इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (2018) और कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो (2018) ने भी ताजमहल का दौरा किया है।
आगरा अकबर द्वारा स्थापित (अब विलुप्त) दीन-ए-इलाही नामक धर्म का जन्मस्थान है। यह राधास्वामी पंथ की भी जन्मस्थली है, जिसके दुनिया भर में लगभग बीस करोड़ अनुयायी हैं। आगरा दिल्ली और जयपुर के साथ स्वर्ण त्रिभुज पर्यटन सर्किट में शामिल है, और उत्तर प्रदेश के लखनऊ और वाराणसी के साथ 'उत्तर प्रदेश हेरिटेज आर्क' नामक पर्यटक सर्किट का हिस्सा भी है।
भूगोल तथा जलवायु
आगरा उत्तर भारत के गांगेय मैदानों में यमुना नदी के तट पर बसा हुआ है। यह उत्तर प्रदेश राज्य के दक्षिण पश्चिमी हिस्से में राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की अंतर्राज्यीय सीमा के निकट स्थित है। नगर यमुना नदी के दोनों ओर फैला हुआ है। समुद्र तल से आगरा की औसत ऊंचाई 168 मीटर (551 फीट) है। आगरा के आसपास का पूरा क्षेत्र समतल मैदान है, हालाँकि दक्षिण-पश्चिम में कुछ पहाड़ियाँ भी हैं। फतेहपुर सीकरी के आस-पास और आगरा जिले की दक्षिण-पूर्वी सीमाओं पर स्थित बलुआ पत्थर की पहाड़ियाँ मध्य भारत की विंध्य पर्वतमाला की शाखाएँ हैं। आसपास के ग्रामीण इलाकों में रबी और खरीफ दोनों प्रकार की फसलों की खेती की जाती है। बाजरा, जौ, गेहूं और कपास उगाई जाने वाली फसलों में से मुख्य हैं।
आगरा सड़क मार्ग से दिल्ली के 230 किलोमीटर (140 मील) दक्षिण-पूर्व में, लखनऊ के 334 किलोमीटर (208 मील) पश्चिम में, वाराणसी के 600 किलोमीटर (370 मील) उत्तर-पश्चिम में, जयपुर के 238 किलोमीटर (148 मील) पूर्व में और ग्वालियर के 120 किलोमीटर (75 मील) उत्तर में स्थित है। फतेहपुर सीकरी का परित्यक्त नगर आगरा के 40 किलोमीटर (25 मील) किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है।
जलवायु
आगरा की जलवायु अर्द्ध शुष्क है जो आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु पर सीमा बनाती है। शहर में हल्की सर्दियाँ, गर्म और शुष्क गर्मी और मानसून का मौसम होता है। हालांकि आगरा में पर्याप्त मानसून रहता है, परन्तु यह भारत के अन्य हिस्सों जितना भारी नहीं होता है। जून से सितंबर के दौरान औसत मॉनसून वर्षा 628.6 मिलीमीटर है। आगरा भारत के सबसे गर्म और सबसे ठंडे शहरों में से एक है। ग्रीष्मकाल में शहर के तापमान में अचानक वृद्धि देखी जाती है और कई बार बहुत उच्च स्तर की आर्द्रता के साथ पारा 46 डिग्री सेल्सियस के निशान को भी पार कर जाता है। गर्मियों के दौरान, दिन का तापमान 40-45 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। रातें अपेक्षाकृत ठंडी होती यहीं और तब तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है। सर्दियाँ थोड़ी सर्द होती हैं लेकिन यह आगरा में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय है। न्यूनतम तापमान कभी-कभी -2 या -2.5 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है, लेकिन आमतौर पर 6 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
वातावरण
आगरा जिले का 7% से भी कम भाग वनाच्छादित है। आगरा नगर के समीप स्थित एकमात्र प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य कीठम झील है, जिसे सूर सरोवर पक्षी अभयारण्य भी कहा जाता है। झील में प्रवासी और निवासी पक्षियों की लगभग दो दर्जन किस्में हैं। सूर सरोवर पक्षी अभयारण्य के भीतर आगरा भालू संरक्षण केन्द्र है, जो 'नाचने वाले' भालूओं के लिए बना भारत का पहला अभयारण्य है। वाइल्डलाइफ एसओएस, फ्री द बियर्स फंड और अन्य द्वारा संचालित इस संरक्षण केन्द्र में ६२० से अधिक ऐसे स्लोथ रीछों का पुनर्वास किया गया है, जिनका अवैध होने के बावजूद 1972 से कलंदरों द्वारा 'नाचने वाले भालुओं' के रूप में शोषण किया जाता रहा था।
आगरा दिल्ली के बाद यमुना नदी के प्रदूषण में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जो कि दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है। नदी में 90 नाले खुलते हैं। हालांकि नगर पालिका ने इनमें से 40 नालों को बंद करने का दावा किया है, लेकिन भैरों, मंटोला और बल्केश्वर जैसे बड़े नालों द्वारा नदी में बिना किसी जांच के बड़ी मात्रा में अनुपचारित अपशिष्ट जल का निर्वहन जारी है। एतमादुद्दौला और ताजमहल के बीच यमुना नदी का तल प्रदूषकों का डंपिंग ग्राउंड बन गया है, जहाँ पॉलिथीन, प्लास्टिक कचरा, जूता कारखानों से चमड़े की कटाई, निर्माण सामग्री, सभी को नदी में फेंक दिया जाता है। नदी के प्रदूषण ने ताजमहल के लिए भी कई समस्याएं पैदा की हैं जैसे 'कीड़े और उनके हरे कीचड़ के हमले', दुर्गंध और ताजमहल की नींव का क्षरण। ताजमहल को वायु प्रदूषण और नदी में सीवेज के निर्वहन के कारण भी महत्वपूर्ण क्षति का सामना करना पड़ा है। दुनिया के आठवें सबसे प्रदूषित शहर में सफेद संगमरमर का ताजमहल गंदी हवा के कारण पीला और हरा हो रहा है, और अक्सर धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएँ के कारण धुआँसे से ढका रहता है।
जनसांख्यिकी
लगभग 16 करोड़ निवासियों के साथ, आगरा उत्तर प्रदेश का चौथा तथा भारत का 23वां सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। 2011 की भारतीय जनगणना के आंकड़ों के अनुसार आगरा नगर की जनसंख्या 15,85,704 है, जबकि आगरा महानगरीय क्षेत्र की जनसंख्या 17,60,285 है। नगर का लिंगानुपात 875 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष है। कुल जनसंख्या में से 8,45,902 पुरुष और शेष 7,39,802 महिलाएं हैं। नगर में साक्षर लोगों की संख्या 10,14,872 है, और नगर की औसत साक्षरता दर 73.11% है। 77.81% पुरुष और 67.74% महिलाऐं साक्षर हैं। नगर में 87,151 झुग्गियाँ हैं जिनमें 5,33,554 लोग निवास करते हैं, जो नगर की कुल जनसंख्या का लगभग 33.64% है।
हिंदू धर्म आगरा नगर में सर्वाधिक अनुयायियों द्वारा पालन किया जाने वाला धर्म है। जिसके अनुयायियों की संख्या नगर की कुल जनसंख्या का 80.68% है। 15.37% अनुयायियों के साथ इस्लाम आगरा नगर में दूसरा सबसे अधिक पालन किया जाने वाला धर्म है। इसके बाद जैन धर्म, सिख धर्म, ईसाई धर्म और बौद्ध धर्म हैं, जिनके अनुयायियों की संख्या क्रमशः 1.04%, 0.62%, 0.42% और 0.19% है। लगभग 1.66% लोग 'कोई विशेष धर्म नहीं' मानते हैं।
नगर में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएँ हिन्दी तथा उर्दू हैं, जो कि उत्तर प्रदेश राज्य की आधिकारिक भाषाएँ भी हैं। शेष भारत की ही तरह यहाँ भी अंग्रेजी भाषा अच्छी तरह बोली-समझी जाती है। नगर क्षेत्र में मुख्यतः मानक हिन्दी का ही चलन है, हालाँकि आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रजभाषा बोलचाल की मुख्य बोली है। नगर में अन्य कम बोली जाने वाली भाषाओं में पंजाबी और बंगाली प्रमुख हैं, जो इन क्षेत्रों से आये अप्रवासी समुदायों द्वारा बोली जाती हैं।
प्रशासन, राजनीति तथा सुविधाएं
कानून व्यवस्था
आगरा नगर की सीमा के भीतर कानून प्रवर्तन और जांच का प्राथमिक दायित्व आगरा पुलिस आयुक्तालय का है। यह उत्तर प्रदेश पुलिस की एक इकाई है, जिसका नेतृत्व पुलिस आयुक्त (पुलिस कमिश्नर) करते हैं, जो आईजीपी रैंक वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी होते हैं।
नवम्बर 2022 से पहले, आगरा जिला आगरा पुलिस जोन और आगरा पुलिस रेंज के अंतर्गत आता था। 6 नवंबर 2022 को, उत्तर प्रदेश राज्य की कैबिनेट द्वारा आगरा समेत राज्य के 3 नगरों में पुलिस आयुक्तालय बनाने का आदेश पारित किया था। आगरा जोन का नेतृत्व एक अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी करते हैं, जबकि आगरा रेंज का नेतृत्व एक उप महानिरीक्षक (डीआईजी) रैंक वाले आईपीएस अधिकारी करते हैं।
नगर प्राशासन
आगरा नगर निगम आगरा शहर के बुनियादी नागरिक ढांचे और प्रशासन के लिए उत्तरदायी नगर निकाय है। यह शहर की सार्वजनिक सेवाओं का प्रबंधन करता है। महापौर और नगर निगम पार्षद पांच साल के लिए चुने जाते हैं। आगरा नगर निगम का अधिकार क्षेत्र चार अंचलों (हरिपर्वत, लोहामंडी, ताजगंज और छाता) में विभाजित है, जिन्हें आगे 100 वार्डों में बाँटा गया है। नगर निगम की सीमाएं 121वर्ग किमी के क्षेत्रफल तक फैली हैं। इसके अतिरिक्त शहर में नए आवास, बुनियादी ढांचे और कॉलोनियों के विकास का दायित्व आगरा विकास प्राधिकरण का है।
दर्शनीय स्थल
ताजमहल - ताजमहल और ताजमहल के मूल एवं वास्तु
आगरे का ताजमहल, शाहजहाँ की प्रिय बेगम मुमताज महल का मकबरा, विश्व की सबसे प्रसिद्ध इमारतों में से एक है। यह विश्व के नये 7 अजूबों में से एक है और आगरा की तीन विश्व सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है। अन्य दो धरोहर आगरा किला और फतेहपुर सीकरी हैं।
1653 में इसका निर्माण पूरा हुआ था। यह मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था। पूरे श्वेत संगमरमर में तराशा हुआ, यह भारत की ही नहीं विश्व की भी अत्युत्तम कृति है। पूर्णतया सममितीय स्मारक के बनने में बाईस वर्ष लगे (1630-1652) व बीस हजार कारीगरों की अथक मेहनत भी। यह मुगल शैली के चार बाग के साथ स्थित है। फारसी वास्तुकार उस्ताद ईसा खां के दिशा निर्देश में इसे यमुना नदी के किनारे पर बनवाया गया। इसे मृगतृष्णा रूप में आगरा के किले से देखा जा सकता है, जहां से शाहजहाँ जीवन के अंतिम आठ वर्षों में, अपने पुत्र औरंगज़ेब द्वारा कैद किये जाने पर देखा करता था। यह सममिति का आदर्श नमूना है, जो कि कुछ दूरी से देखने पर हवा में तैरता हुआ प्रतीत होता है। इसके मुख्य द्वार पर कुरआन की आयतें खुदी हुई हैं। उसके ऊपर बाइस छोटे गुम्बद हैं, जो कि इसके निर्माण के वर्षों की संख्या बताते हैं। ताज को एक लालबलुआ पत्थर के चबूतरे पर बने श्वेत संगमर्मर के चबूतरे पर बनाया गया है। ताज की सर्वाधिक सुंदरता, इसके इमारत के बराबर ऊँचे महान गुम्बद में बसी है। यह 60 फीट व्यास का, 80 फीट ऊँचा है। इसके नीचे ही मुमताज की कब्र है। इसके बराबर ही में शाहजहाँ की भी कब्र है। अंदरूनी क्षेत्र में रत्नों व बहुमूल्य पत्थरों का कार्य है। खुलने का समय : 6 प्रातः से 7:30 साँयः (शुक्रवार बन्द)
आगरा का किला
आगरा का एक अन्य विश्व धरोहर स्थल है आगरा का किला। यह आगरा का एक प्रधान निर्माण है, जो शहर के बीचों बीच है। इसे कभी कभार लाल किला भी कहा जाता है। यह अकबर द्वारा 1565 में बनवाया गया था। बाद में शाहजहां द्वारा इस किले का पुनरोद्धार लाल बलुआ पत्थर से करवाया गया, व इसे किले से प्रासाद में बदला गया। यहां संगमरमर और पीट्रा ड्यूरा नक्काशी का क्महीन कार्य किया गया है। इस किले की मुख्य इमारतों में मोती मस्जिद, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जहाँगीर महल, खास महल, शीश महल एवं मुसम्मन बुर्ज आते हैं।
मुगल सम्राट अकबर ने इसे 1565 में बनवाया था, जिसमें उसके पौत्र शाहजहाँ के समय तक निर्माण कार्य बढ़ते रहे। इस किले के निषिद्ध क्षेत्रों में अंदरूनी छिपा हुआ स्वर्ग जैसा स्थान है। यह किला अर्ध-चंद्राकार है, जो पूर्व में कुछ चपटा है, पास की सीधी दीवार नदी की ओर वाली है। इसकी पूरी परिधि है 2.4 किलो मीटर, जो दोहरे परकोटे वाली किलेनुमा चहारदीवारी से घिरी है। इस दीवार में छोटे अंतरालों पर बुर्जियां हैं, जिनपर रक्षा छतरियां बनीं हैं। इस दीवार की ओर एक 9 मीटर चौड़ी व 10 मीटर गहरी खाई घेरे हुए है।
शिवाजी यहां 1666 में पुरंदर संधि हेतु आये थे। उनकी याद में एक बड़ी मूर्ति यहां स्थापित है। यह किला मुगल स्थापत्य कला का एक जीवंत उदाहरण है। यहीं दिखता है, कैसे उत्तर भारतीय दुर्ग शैली दक्षिण से पृथक थी। दक्षिण भारत में अनेकों दुर्ग हैं, जिनमें से अधिकांश सागर तट पर हैं।
फतेहपुर सीकरी
मुगल सम्राट अकबर ने फतेहपुर सीकरी बसाई, व अपनी राजधानी वहां स्थानांतरित की। यह आगरा से 35 कि॰मी॰ दूर है। यहां अनेकों भव्य इमारतें बनवायीं। बाद में पानी की कमी के चलते, वापस आगरा लौटे। यहां भी बुलंद दरवाजा, एक विश्व धरोहर स्थल है। बुलंद दरवाजा या 'उदात्त प्रवेश द्वार' मुगल सम्राट द्वारा बनाया गया था, बुलंद दरवाजा 52 कदम से संपर्क किया है। बुलंद दरवाजा 53.63 मीटर ऊँचे और 35 मीटर चौड़ा है। यह लाल और शौकीन बलुआ पत्थर से बना है, नक्काशी और काले और सफेद संगमरमर द्वारा सजाया। बुलंद दरवाजा के मध्य चेहरे पर एक शिलालेख अकबर धार्मिक समझ का दायरा दर्शाता है।
एतमादुद्दौला का मकबरा
सम्राज्ञी नूरजहां ने एतमादुद्दौला का मकबरा बनवाया था। यह उसके पिता घियास-उद-दीन बेग़, जो जहाँगीर के दरबार में मंत्री भी थे, की याद में बनवाया गया था। मुगल काल के अन्य मकबरों से अपेक्षाकृत छोटा होने से, इसे कई बार श्रंगारदान भी कहा जाता है। यहां के बाग, पीट्रा ड्यूरा पच्चीकारी, व कई घटक ताजमहल से मिलते हुए हैं।
जामा मस्जिद
जामा मस्जिद एक विशाल मस्जिद है, जो शाहजहाँ की पुत्री, शाहजा़दी जहाँआरा बेगम़ को समर्पित है। इसका निर्माण 1648में हुआ था और यह अपने मीनार रहित ढाँचे तथा विशेष प्रकार के गुम्बद के लिये जानी जाती है।
चीनी का रोजा
चीनी का रोजा शाहजहाँ के मंत्री, अल्लामा अफज़ल खान शकरउल्ला शिराज़, को समर्पित है और अपने पारसी शिल्पकारी वाले चमकीले नीले रंग के गुम्बद के लिये दर्शनीय है।
मेहताब बाग
भारत का सबसे पुराना मुग़ल उद्यान, रामबाग, मुग़ल शासक बाबर ने सन् 1528 में बनवाया था। यह उद्यान ताजम़हल से 2.34 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में स्थित है।
स्वामी बाग और दयाल बाग
स्वामीबाग समाधि हुजूर स्वामी महाराज (श्री शिव दयाल सिंह सेठ) का स्मारक/ समाधि है। यह नगर के बाहरी क्षेत्र में है, जिसे स्वामी बाग कहते हैं। वे राधास्वामी मत के संस्थापक थे। उनकी समाधि उनके अनुयाइयों के लिये पवित्र है। इसका निर्माण 1908 में आरम्भ हुआ था और कहते हैं कि यह कभी समाप्त नहीं होगा। इसमें भी श्वेत संगमरमर का प्रयोग हुआ है। साथ ही नक्काशी व बेलबूटों के लिये रंगीन संगमरमर व कुछ अन्य रंगीन पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यह नक्काशी व बेल बूटे एकदम जीवंत लगते हैं। यह भारत भर में कहीं नहीं दिखते हैं। पूर्ण होने पर इस समाधि पर एक नक्काशीकृत गुम्बद शिखर के साथ एक महाद्वार होगा। इसे कभी कभार दूसरा ताज भी कहा जाता है।
सिकंदरा (अकबर का मकबरा)
आगरा किला से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर, सिकंदरा में महान मुगल सम्राट अकबर का मकबरा है। यह मकबरा उसके व्यक्तित्व की पूर्णता को दर्शाता है। सुंदर वृत्तखंड के आकार में, लाल बलुआ-पत्थर से निर्मित यह विशाल मकबरा हरे भरे उद्यान के बीच स्थित है। अकबर ने स्वयं ही अपने मकबरे की रूपरेखा तैयार करवाई थी और स्थान का चुनाव भी उसने स्वयं ही किया था। अपने जीवनकाल में ही अपने मकबरे का निर्माण करवाना एक तुर्की प्रथा थी, जिसका मुगल शासकों ने धर्म की तरह पालन किया। अकबर के पुत्र जहाँगीऱ ने इस मकबरे का निर्माण कार्य 1613 में संपन्न कराया।
मरियम मकबरा
मरियम मकबरा, अकबर की राजपूत (आमेर के राजा भारमल की पुत्री हरखू बाई) बेग़म का मकबरा है, इस बेगम को अकबर ने मरियम मकानी अर्थात् संसार की माँ की उपाधि या उपनाम दिया था । यह मकबरा आगरा और सिकन्दरा के बीच में है।
पालीवाल पार्क (हीविट पार्क)
अर्थव्यवस्था
ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों की उपस्थिति के कारण, आगरा में एक समृद्ध पर्यटन उद्योग है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर्चिनकारी, संगमरमर की जड़ों और कालीन संबंधित उद्योग भी हैं। आगरा वित्तीय पैठ सूचकांक, जो एटीएम और बैंक शाखाओं की उपस्थिति पर चीजों को मापता है, और खपत सूचकांक, जो क्षेत्र के नगरीकरण का संकेत देता है, दोनों में भारत में पांचवें स्थान पर है। भारत के शहर प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में, नगर 210 में 26वें स्थान पर, 2011 में 32वें स्थान पर, और 2012 में 37वें स्थान पर था।
आगरा की लगभग 40% जनसंख्या काफी हद तक कृषि पर, चमड़े और जूते के व्यापार पर, और लोहे की ढलाई पर निर्भर करती है। वाराणसी के बाद 2007 में भारत में आगरा दूसरा सबसे अधिक स्वरोजगार वाला नगर था। राष्ट्रीय पतिदर्श सर्वेक्षण संगठन के अनुसार नगर में 1999-2000 में प्रत्येक 1,000 नियोजित पुरुषों में से स्व-नियोजित पुरुषों की संख्या 431 थी, जो 2004–05 में बढ़कर 603 व्यक्ति प्रति 1,000 तक हो गयी। आगरा की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का प्रमुख योगदान है। आईएचसीएल द्वारा निर्मित ताजव्यू होटल शहर में खुले पांच सितारा श्रेणी के होटलों में पहला था। एशिया का सबसे बड़ा स्पा काया कल्प - द रॉयल स्पा आगरा के मुगल होटल में है।
आगरा में कई उद्योग हैं। उत्तर प्रदेश की पहली प्लांट बायोटेक कंपनी हरिहर बायोटेक ताज के पास स्थित है। लगभग 7,000 लघु उद्योग इकाइयाँ हैं। आगरा शहर अपने चमड़े के सामानों के लिए भी जाना जाता है, सबसे पुराना और प्रसिद्ध चमड़ा फर्म ताज लेदर वर्ल्ड सदर बाजार में है। इसके अतिरिक्त यहाँ कालीन, हस्तशिल्प, जरी और जरदोजी (कढ़ाई का काम), संगमरमर और पत्थर की नक्काशी संबंधित उद्योग भी स्थित हैं। आगरा अपनी मिठाइयों (पेठा और गजक) और स्नैक्स (दालमोठ), कपड़ा निर्माताओं और निर्यातकों और ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए जाना जाता है। मुगल सम्राट बाबर द्वारा नगर के कालीन उद्योग की नींव रखी गई थी और तब से यह कला फल-फूल रही है।
आगरा में सिटी सेंटर स्थान पर आभूषण और कपड़ों की दुकानें हैं। सिल्वर और गोल्ड ज्वैलरी हब चौबे जी का फाटक पर है। शाह मार्केट क्षेत्र एक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार है जबकि संजय प्लेस आगरा का व्यापारिक केंद्र है।
शिक्षा
मुग़ल काल से ही आगरा इस्लाम की शिक्षा का एक केंद्र रहा है। ब्रिटिश शासन के समय अंग्रेज़ों ने यहाँ आगरा में पाश्चात्य शिक्षा को बढ़ावा दिया। वर्ष 1823 में यहां भारत के प्राचीनतम महाविद्यालयों में प्रमुख आगरा कॉलेज आगरा की स्थापना हुई । अन्य प्रमुख महाविद्यालय हैं राजा बलबंत सिंह महाविद्यालय, जिसे क्षेत्रफल की दृष्टि से एशिया के सबसे बड़े महाविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है, सेंट जोन्स कॉलेज, बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय, तथा बी डी जैन कन्या महाविद्यालय। यह सभी महाविद्यालय बी आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय ( पूर्व में आगरा विश्वविद्यालय)से सम्बद्ध हैं। आगरा स्थित एक अन्य प्रमुख विश्वविद्यालय है दयालबाग विश्व विद्यालय ।भारतीय लेखकों में प्रमुख बाबू गुलाबराय की जन्म और कर्म भूमि यही थी। वर्तमान में यहाँ माध्यमिक शिक्षा परिषद् (यू.पी. बोर्ड), इलाहाबाद; केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई. बोर्ड), दिल्ली; और आई.सी.एस.ई. बोर्ड से सम्बद्ध हिन्दी व अंग्रेजी माध्यम के कई विद्यालय हैं:
- आगरा पब्लिक स्कूल, विजय नगर कॉलोनी
- एयर फ़ोर्स स्कूल
- केंद्रीय विद्यालय
- मुफ़ीद-ए-आम इण्टर कॉलेज, पण्डित मोती लाल नेहरू रोड
- गायत्री पब्लिक स्कूल, वजीरपुरा सड़क
- महावीर दिगम्बर जैन इण्टर कॉलेज, अहिंसा चौक, हरीपर्वत
- चौधरी सीएम पब्लिक स्कूल,दौरेठा नं.2 शाहगंज आगरा
- दिल्ली पब्लिक स्कूल, दयालबाग
- राजकीय पॉलीटेक्निक मनकेड़ा, आगरा
- सरस्वती शिशु मंदिर, उत्तर विजय नगर कॉलोनी
- सेंट जोसेफ़ गर्ल्स इण्टर कॉलेज, पालीवाल पार्क गेट
- अंकुर पब्लिक स्कूल, जीवनी मंडी, आगरा
- सेंट पीटर्स कॉलेज, वजीरपुरा रोड
- सेंट पॉल्स चर्च कॉलेज, सिविल लाइन्स
- सेंट फ्राँसिस कान्वेंट स्कूल, वज़ीरपुरा सड़क
- होली पब्लिक स्कूल, सिकन्दरा
- सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, विजय नगर
- राजकीय इंटर कॉलेज, आगरा
- भीम राव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा
प्रिंट मीडिया
आगरा जिले में प्रमुख रूप से हिंदी दैनिक जैसे कि अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान (समाचार पत्र), आज, दाता सन्देश, दीपशील भारत, दैनिक दृश्य भारती इत्यादि समाचार-पत्र प्रकाशित होते हैं।
आवागमन
आगरा शहर प्रमुख शहर दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, हरिद्वार, देहरादून एवं जयपुर आदि शहरों से सीधे रेल एवम् सड़क मार्ग द्वारा चौबीसों घंटे जुड़ा हुआ है। दिल्ली-मुम्बई एवम् दिल्ली-चेन्नई के लिए मध्य-पश्चिम एवम् मध्य-दक्षिण रेलवे नेटवर्क है। दिल्ली से आगरा के लिये रा.राजमार्ग-2 है जिसकी दूरी 200 कि॰मी॰ है जो कि लगभग 4 घंटे में तय की जाती है।
रेल मार्ग
आगरा में भारतीय रेलवे द्वारा संचालित ५ रेलवे स्टेशन हैं। ये सभी रेलवे के उत्तर-मध्य अंचल के आगरा मण्डल के अंतर्गत आते हैं। आगरा में उत्तर-दक्षिण दिशा में एक ब्रॉड गेज रेलवे लाइन है, जो पूर्व-पश्चिम दिशा की एक अन्य ब्रॉड गेज लाइन को काटती है। दोनों की क्रॉसिंग रुई की मंडी क्षेत्र के आसपास होती है, जहां पूर्व-पश्चिम लाइन उत्तर-दक्षिण लाइन के नीचे से गुजरती है। उत्तर-दक्षिण दिशा की लाइन उत्तर की ओर से दिल्ली से आती है, और आगरा छावनी रेलवे स्टेशन होते हुए दक्षिण में ग्वालियर की ओर निकल जाती है। इस लाइन पर राजा की मण्डी रेलवे स्टेशन से एक ब्रांच लाइन पूर्व की ओर निकलती है, जिस पर आगरा सिटी रेलवे स्टेशन स्थित है। पश्चिम दिशा से भरतपुर और बयाना से क्रमशः दो ब्रॉड गेज लाइनें आती हैं। ये दोनों लाइनें सिंगल लाइन हैं हालाँकि बाद वाली लाइन विद्युतीकृत है। ये दोनों लाइनें ईदगाह जंक्शन रेलवे स्टेशन से ठीक पहले मिल जाती हैं, और फिर आगरा फोर्ट के रास्ते टुंडला जंक्शन की ओर पूर्व दिशा में आगे बढ़ते हुए दिल्ली - हावड़ा मुख्य लाइन का हिस्सा बनती हैं।
वायु मार्ग -खेरिया हवाई अड्डा