श्रीधर सोमनाथ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के 10वें अध्यक्ष
कार्यभार ग्रहण | 15 जनवरी 2022 |
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक | |
कार्यकाल | 22 जनवरी 2018 - 14 जनवरी 2022 |
तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक | |
कार्यकाल | 1 जनवरी 2015 - 23 जनवरी 2018 |
एस सोमनाथ का पूरा नाम (S. Somanath Full Name) इनका पूरा नाम श्रीधर पाड़ीकर सोमनाथ/श्रीधर पाणिकर सोमनाथ है और संक्षेप में लोग इन्हें एस सोमनाथ कहकर बुलाते हैं।
एस. सोमनाथ एक भारतीय एयरोस्पेस इंजीनियर और रॉकेट तकनीशियन हैं। जनवरी 2022 में के . सिवन के बाद सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष चुने गए। इससे पहले, सोमनाथ विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक थे और तिरुवनंतपुरम में तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक भी थे। सोमनाथ को वाहन डिजाइन शुरू करने का श्रेय दिया जाता है, विशेष रूप से लॉन्च वाहन सिस्टम इंजीनियरिंग, संरचनात्मक डिजाइन, संरचनात्मक गतिशीलता और आतिशबाज़ी बनाने की विद्या के क्षेत्र में। उन्होंने संचार उपग्रहों के लिए लॉन्च वाहनों को GSAT-MKII (F09) और रिमोट सेंसिंग उपग्रहों के लिए GSAT-6A PSLV-C41 में अपग्रेड करने पर ध्यान केंद्रित किया।
व्यक्तिगत जीवन
सोमनाथ ने महाराजा कॉलेज, एर्नाकुलम में अपना प्री-डिग्री प्रोग्राम पूरा किया। सोमनाथ के पास टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, क्विलन, केरल विश्वविद्यालय से मास्टर्स डिग्री है, और डायनेमिक्स और कंट्रोल में विशेषज्ञता के साथ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री है।
शुरुआती जीवन : सूरज, चांद के प्रति बचपन से ही था आकर्षण
उनका जन्म केरल के अलापुझा जिले में हिंदी भाषा के शिक्षक वेदमपराम्बिल श्रीधर सोमनाथ के घर हुआ था। इनकी माता थैंकम्मा गृहिणी थीं। उनकी शुरुआती शिक्षा स्थानीय स्कूल में हुई। उसके बाद सोमनाथ ने केरल के कोल्लम स्थित टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc) से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। वो यहां गोल्ड मेडलिस्ट रहे।
एक इंटरव्यू में सोमनाथ ने बताया, 'जब मैं स्कूल में था तो दूसरों की तरह मैं भी स्पेस के प्रति बहुत आकर्षित था। सूरज, चांद और तारों को लेकर मेरी भी बहुत सी जिज्ञासाएं थीं। हिंदी टीचर होने के बावजूद पिता की साइंस में बहुत रुचि थी। वे एस्ट्रोनॉमी से जुड़ी किताबें लाकर मुझे देते। मैंने उस समय वो किताबें पढ़ीं।'
'वेदों से मिले हैं अंतरिक्ष विज्ञान के सिद्धांत'
एस सोमनाथ सिनेमा के बड़े प्रसंशक हैं। फिल्म सोसायटी ऑफ तिरुअनंतपुरम के मेंबर रहे हैं। उज्जैन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि अलजेबरा, समय के सिद्धांत, आर्किटेक्चर और यहां तक कि अंतरिक्ष विज्ञान के सिद्धांत भी वेदों से मिले थे।
स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, सोमनाथ 1985 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में शामिल हो गए। वह अपने प्रारंभिक चरण में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) परियोजना में शामिल थे। वे वीएसएससी के एसोसिएट डायरेक्टर (प्रोजेक्ट्स) बने और 2010 में जीएसएलवी एमके-III लॉन्च व्हीकल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बने। उन्होंने नवंबर 2014 तक प्रणोदन और अंतरिक्ष अध्यादेश के उप निदेशक के रूप में भी कार्य किया। जून 2015 में, उन्होंने तिरुवनंतपुरम के वलियामाला में तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC) के निदेशक के रूप में पदभार संभाला, जहाँ उन्होंने जनवरी 2018 तक काम किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष के . सोमनाथ ने सिवन से वीएसएससी निदेशक के रूप में पदभार संभाला। इसके अलावा एम सोमनाथ संस्कृत भाषा के अच्छे जानकार हैं और संस्कृत भाषा बोल भी लेते हैं इन्होंने संस्कृत भाषा में बनी डाक्यूमेंट्री फिल्म "यानम्" में अभिनय भी किया है, जो 14 अक्टूबर 2022 को रिलीज हुई थी।
एस सोमनाथ (S Somanath) रोचक तथ्य
- इनसे पहले इसरो के अध्यक्ष के. सिवान थे जिनका कार्यकाल 14 जनवरी 2022 तक था।
- इनका मानना है की भारत में भी निजी कंपनियों द्वारा अंतरिक्ष में व्यापार और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिलना चाहिए।
- सोमनाथ केरल के तिरुवंतपुरम की एक फिल्म सोसाइटी के सदस्य भी रह चुके हैं क्योंकि इनको फिल्मे बहुत पसंद है।
- इनके 2 बच्चे है जिन्होंने इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की है।
- सोमनाथ के द्वारा साल 1985 में इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन संस्था को ज्वाइन किया गया था और उसके पश्चात इन्होंने अलग-अलग पदों पर इस संस्था में काम किया। जैसे कि – Project Manager-Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV), Deputy Director for Structures Entity/Propulsion & Space Ordnance Entity, Project Director, Geosynchronous Satellite Launch Vehicle (GSLV Mk-III) इत्यादि।
- सोमनाथ शुरुआती चरण के दरमियान पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल प्रोजेक्ट से भी जुड़े हुए थे और साल 2014 में नवंबर के महीने तक यह प्रपोजिशन एंड स्पेस ऑर्डिनेंस एंटीटी के डिप्टी डायरेक्टर के पद पर भी रहे थे।
- सोमनाथ ने साल 2015 के जून महीने में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया जो लॉन्च व्हीकल और स्पेस कार्यक्रम के लिए लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम के डिजाइन के लिए जिम्मेदार था।
- आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि, सोमनाथ पहले विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से इसके डायरेक्टर के तौर पर जुड़े हुए थे। बताना चाहते हैं कि विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन का प्रमुख केंद्र है जो लॉन्च व्हीकल के डिजाइन के लिए जिम्मेदार है।
उन्होंने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में काम किया है, जिनमें शामिल हैं: चंद्रयान-1: भारत का पहला चंद्र मिशन, चंद्रयान-2: भारत का दूसरा चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा की सतह पर लैंडर और रोवर को सफलतापूर्वक उतारा और तीसरा गगनयान: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन
एस सोमनाथ के अवार्ड (S. Somanath Award)
अपने बेहतरीन वर्क एक्सपीरियंस की बदौलत सोमनाथ ने बहुत सारे अवार्ड अपने करियर के दरमियान प्राप्त किए। इन्हें एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के द्वारा स्पेस गोल्ड मेडल प्रदान किया गया है। इसके अलावा इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग के द्वारा भी इन्हें सम्मानित किया गया है। सोमनाथ को साल 2014 में परफॉर्मेंस एक्सीलेंस अवार्ड और साल 2014 में ही टीम एक्सीलेंस अवार्ड भी मिला हुआ है। यह अवार्ड इन्हें जीएसएलवी एमके के लिए प्राप्त हुआ था। सोमनाथ को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें शामिल हैं –
- पद्मश्री (2022)
- शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार (2021)
- डी.एस. कोठार पुरस्कार (2020)
- इसरो वैज्ञानिक पुरस्कार (2019)
- सोमनाथ को साल 2014 में परफॉर्मेंस एक्सीलेंस अवार्ड दिया गया था।
एस सोमनाथ, इसरो चेयरमैन
श्रीधर सोमनाथ को चंद्रयान 3 के मास्टरमाइंड है, उनमें से एक माना जाता है। इन्हें साल 2022 में 14 जनवरी के दिन इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन की कमान प्रदान कर दी गई थी। यह कार्यकाल 3 साल का है। बताना चाहेंगे कि, इसरो के के. सिवान का कार्यकाल पूरा होने के बाद सोमनाथ को इस पद पर तैनात किया गया है।
जानकारी बता दें कि चंद्रयान-3 को लीड करने वाले एस सोमनाथ जी को सबसे बड़ी सफलता मिल गई है। इसरो द्वारा लांच किये गये चंद्रयान-3 की चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग हो गई है। जिसके चलते मोदी जी ने उन्हें पर्सनली फोन करके बधाई दी है।
कहा जा रहा है कि भारत के महत्वाकांक्षी मून मिशन के पीछे एस सोमनाथ की बड़ी भूमिका है। गगनयान और सूर्य मिशन आदित्य-एल-1 समेत इसरो के अन्य अंतरिक्ष अभियानों को रफ़्तार देने का भी श्रेय उन्हें दिया जाता है।
इसरो के प्रमुख की ज़िम्मेदारी निभाने से पहले एस सोमनाथ विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर डायरेक्टर भी रह चुके हैं। लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर मुख्य रूप से इसरो के लिए रॉकेट टेक्नोलॉजी विकसित करता है।
जब चंद्रयान 3 का प्रक्षेपण किया गया उस समय सोमनाथ ने कहा था, “चंद्रयान-3 अपने सटीक कक्षा में पहुँच गया है और उसने चांद की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. यान बिल्कुल ठीक है...”
बुधवार को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद एस सोमनाथ ने कहा, "चंद्रयान-2 की असफलता से हमने काफ़ी कुछ सीखा और आज हम सफल हुए हैं." उन्होंने कहा कि सूर्य मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यान आदित्य एल-1 को श्रीहरिकोटा से अगले महीने छोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान तीन के लिए अगले 14 दिन महत्वपूर्ण होंगे.
PSLV डेवलप करने में योगदान
सोमनाथ की विज्ञान और अंतरिक्ष को लेकर बचपन से ही बड़ी रुचि थी। साल 1985 में एस सोमनाथ, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से जुड़ गए। करियर की शुरुआत पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) से की थी। यह प्रोग्राम भारत के स्पेस प्रोग्राम में गेम चेंजर साबित हुआ। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम उस समय इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे। PSLV को विकसित करने में सोमनाथ का खासा योगदान रहा है।
कई विषयों के एक्सपर्ट हैं सोमनाथ
वैज्ञानिक और इसरो ते मुखिया एस सोमनाथ एक नहीं, बल्कि कई विषयों के एक्सपर्ट हैं। वह लॉन्च व्हीकल डिजाइनिंग जानते हैं, उन्होंने लॉन्च व्हीकल सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, स्ट्रक्चरल डायनेमिक्स, मैकेनिज्म डिजाइन और पायरोटेक्निक में विशेषज्ञता हासिल की है।
अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ी दुनिया में इस समय केवल भारत के चंद्रयान मिशन-3 की ही चर्चा है। बुधवार को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के चंद्रयान के चांद पर सफलता पूर्वक पहुंचते ही इसके चेयरमैन एस सोमनाथ भी सुर्खियों में आ गए हैं। स्वभाव से बेहद ही सरल सोमनाथ आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हैं। उन्होंने केरल के वलमंगलम में पैतृक संपत्ति पर घर बना रखा है जहां आज भी वे अक्सर जाते रहते हैं। यहां वे मुंडू (धोती) और शर्ट पहनकर जाते हैं। टीकेएम कॉलेज की तरफ से सोमनाथ को पहला थंगल कुंजू मुसलियार लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया था, जिसकी अवॉर्ड मनी भी उन्होंने दान कर दी थी।
कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सीखने के लिए संस्कृत काफी फायदेमंद
सोमनाथ इसी साल उज्जैन की महर्षि पाणिनी संस्कृत और वैदिक यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे। वहां उन्होंने कहा था संस्कृत भाषा वैज्ञानिक विचारों को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल की जाती थी। कंप्यूटर की भाषा भी संस्कृत है। जो लोग कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) सीखना चाहते हैं, उनके लिए संस्कृत काफी फायदेमंद हो सकती है।