सिसोदिया (राजपूत)
सिसोदिया गुहिल वंश की उपशाखा है जिसका राजस्थान के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। राहप जो कि चित्तौड़ के गुहिल वंश के राजा के पुत्र थे शिशोदा ग्राम में आकर बसे जिस से उनके वंशज सिसोदिया कहलाये ।
सिसोदिया गुहिल वंश की उपशाखा है जिसका राजस्थान के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। राहप जो कि चित्तौड़ के गुहिल वंश के राजा के पुत्र थे शिशोदा ग्राम में आकर बसे जिस से उनके वंशज सिसोदिया कहलाये । सिसोदिया सूर्यवंशी राजपूत हैं।
राहप ने मंडोर के राणा मोकल परिहार को पराजित कर उसका विरद छीना था तब से राहप और उसके वंशजों की उपाधी राणा हुई।
1303 में जब अलाहुद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला किया तब चित्तौड़ के शासक रावल रत्न सिंह के नेतृत्व मे राजपूतों ने शाका किया और उनकी पत्नी महारानी पद्मिनी भटियानी के नेतृत्व में महिलाओं ने जौहर किया और अपने स्वाभिमान की रक्षा की । इस घटना के कई सालों बाद राणा हमीर सिंह ने वापस चित्तौड़ पर विजय प्राप्त की इस तरह गुहिल वंश की उपशाखा सिसोदिया का मेवाड़ पर शासन स्थापित हुआ
सिसोदिया राजवंश के शासक
(1326–1948 ईस्वी)
राणा हम्मीर सिंह - (1326–1364)
राणा क्षेत्र सिंह - (1364–1382)
राणा लखा - (1382–1421)
राणा मोकल - (1421–1433)
राणा कुम्भ - (1433–1468)
उदयसिंह प्रथम - (1468–1473)
राणा रायमल - (1473–1508)
राणा सांगा - (1508–1527)
रतन सिंह द्वितीय - (1528–1531)
राणा विक्रमादित्य सिंह - (1531–1536)
बनवीर सिंह - (1536–1540)
उदयसिंह द्वितीय - (1540–1572)
महाराणा प्रताप - (1572–1597)
अमर सिंह प्रथम - (1597–1620)
करण सिंह द्वितीय - (1620–1628)
जगत सिंह प्रथम - (1628–1652)
राज सिंह प्रथम - (1652–1680)
जय सिंह - (1680–1698)
अमर सिंह द्वितीय - (1698–1710)
संग्राम सिंह द्वितीय - (1710–1734)
जगत सिंह द्वितीय - (1734–1751)
प्रताप सिंह द्वितीय -(1751–1754)
राज सिंह द्वितीय -(1754–1762)
अरी सिंह द्वितीय - (1762–1772)
हम्मीर सिंह द्वितीय - (1772–1778)
भीम सिंह - (1778–1828)
जवान सिंह - (1828–1838)
सरदार सिंह - (1838–1842)
स्वरूप सिंह - (1842–1861)
शम्भू सिंह - (1861–1874)
उदयपुर के सज्जन सिंह - (1874–1884)
फतेह सिंह - (1884–1930)
भूपाल सिंह - (1930–1948)
नाममात्र के शासक (महाराणा)
भूपाल सिंह - (1948–1955)
भागवत सिंह - (1955–1984)
महेन्द्र सिंह - (1984–वर्तमान)
